ख्वाइशें : कुछ पूरी, कुछ अधूरी सी... - Book Review


ख्वाइशें : कुछ पूरी, कुछ अधूरी सी


पुलकित गुप्ता
  • ISBN-13: 978-9385440229
  • Petals Publishers 

वाह ! क्या शुरुआत रही मेरी हिंदी साहित्य में | मेरी पहली हिंदी नॉवेल और वो भी इतनी शानदार | यह कहानी बहुत कुछ असली ज़िन्दगी से मिलती झूलती है | ऐसा लगता है जैसे यह एक फिक्शन नहीं पर रियल लाइफ स्टोरी हो | बुक कवर जो बहुत ही लाजवाब था और वैसे ही उसका ब्लर्ब जो रीडर्स को कहानी पढ़ने पे मजबूर करता है | शुरुआत काफी अच्छी रही और अंत तक लेखक ने बोर होने का कोई मौका नहीं दिया | हर एक स्थल ऐसे लिखा गया है की पढ़ने वाले को आराम से समझ आ जाये | पर मुझे लगता है की लेखक narration  को और सुधार सकता है बाकी हर एक चीज़ बहुत अच्छी थी और इस बुक का हिंदी translation का श्रेया सर विनीत क. बंसल को जाता है जिन्होंने इस कहानी की भावनाएं अलग नहीं होने दी और उससे बहुत ही अच्छे तरह से अनुवाद किया |
लेखक पुलकित गुप्ता, विनीत क. बंसल सर और Petals पब्लिशर्स की पूरी टीम जिसके प्रमुख हरप्रीत है, उन्हें बहुत-बहुत बधाइयाँ की उन्होंने ऐसे किताब निकाली जो न सिर्फ एक प्रेम कथा है पर एक प्रेरणादायक कथा भी है |
में हर एक युवा को यह किताब पढ़ने की सलाह दूंगा और चाहूंगा की वो अपनी जिंदगी में कभी हारा हुआ न महसूस करे और अपनी जिंदगी की हर एक कठनाइयां का सामना करे |

बुक कवर - 4.5/5
एडिटिंग - 5/5
ब्लर्ब - 4/5
कहानी - 4.5/5

4.5/5 

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अगर आप अपनी बुक की समीक्षा करने चाहते है तो मुझे इस ईमेल पे मेल कीजिये- pavitr.03@gmail.com

धन्यवाद 



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